मज़हबी सियासत ने मुल्क की तरक्की को ग्लोबलइज़ेशन के गोबर से लीप दिया

लहर डेस्क

आंधियों में तेज़ियों में तुम हो

तुम से तुम हो।

गर संभलने का हुनर तुम में है

तो तुम से तुम हो।।

सियासत की आंधियों में देश की तकदीर धूल ज़दा हो रही है, अगर हुनर है तुम में तो बचाओं अपने मुस्तकबिल को। सुबह जैसे आँख खुली तो हर तरफ एक झुंड और रस्साकशी क्या क्यों कैसे? सवालों के शोर से कुदरत की खूबसूरत आवाज़ों के तौहफे से महरूम अपने उस मकसद की ओर बढ़ने को मजबूर कर दिया। सियासी पेचों की पैदाइशों से जिसे सुनकर, देखकर, पढ़कर हुई परवरिश से शायद शिकायतें ही शिकायते थीं। सारा मुल्क तिजारत की मुखालफत एक स्वर में एक राग में अलाप रहा है, हिन्दुस्तानी होने का दौर चल निकला है। सालों भर एक जुमला मैं कौन ? की डिस्कवरी आधुनिक भारत की एक अनोखी खोज में कहीं बिज़ी है, देश की तरक्की का पुराना अलाप और विमारियों से निजात पाने की पुरानी कोशिश ऐसी ही है जैसे आशिर्वाद आटे का पैकेट या दांत साफ करने के लिए किसी भी ब्रांड का कोलगेट, नतीजा यूपीएससी और नौकरियों में बहाली के समाचारों में छात्रों के प्रोडक्शन के व्यापार में वृद्धी। शब्दों का जाल मकड़ जाल कैसे बन जाता है, इसको याद करने से सिर्फ समय की बर्बादी के सिवा कुछ हासिल नहीं होता हुनर सिर्फ साबित करने में ही हैसिल हुआ है, और अगर सूत्र ख़ास होता है तो ज़रूरी है संपर्क के उस धागे के लिपटने की कीमत को समझ जाओं जिससे हाहकार की गूंज में कुछ समय और लगेंगा  लेकिन क्या फायदा किसको मिलेगा कोई उससे कुछ हासिल नहीं कर पाएगा। उड़ान और सपने की तासीर को हकीकत तब कहा जाता है दब ज़मीनदोज़ कदम जिस्मम में दौड़ते खून में गर्मी को बनाए रखें……   भारत संचार निगम लिमिटेड का इंतज़ामिया ही यह जानता होगा कि कुछ वक्त के लिए ही सही कई हज़ार करोड़ का मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी कैसे ख़त्म हुई. उम्मीदे 2G से 4G के मुक़ाबले की कि गई।  फैसले से फायदा किसे पहुंचा BSNL यह जानता था, लेकिन मज़हबी सियासत ने मुल्क की तरक्की को ग्लोबलइज़ेशन के गोबर से लीप दिया। जुर्म है अगर अपने मुल्क से मोहब्बत तो हां मेरी मोहब्बत गुनाह है।