क्या आधे पेट भारत आत्मनिर्भर भारत बन पाएगा?

एजाज अहमद :सीवान /बिहार
आज ठीक 11:30 पे एक दोस्त का इंतेज़ार DAV कॉलेज गेट के बाहर कर रहा था अचानक मेरी नजर एक रिक्शे वाले श्रमिक पर पड़ी धीरे धीरे उसके करीब गया उम्र लगभग 55 के आस पास होगी उनसे बात चीत करने लगा। बात चीत की शुरुआत कोरोना बीमारी से किया मै उनसे पूछा कि बीमारी के चलते पूरा देश बंद था अभी हाल फिलहाल सबकुछ खुला है जिसके चलते आप लोग दिख रहे है ।
तो आप यह बताए बंदी के दौरान आपलोगो के सामने कौन कौन समस्या आयी वुछ देर रूक कर बोला कि बंदी में हमारा धंधा यानी रिक्शा चलाते हैं सवारी नहीं मिल रही थी हमलोग भी घर से बाहर नहीं निकल रहे थे । रोज कमाते है और खाते है ।
हमने काहा राशन कार्ड धारी को सरकार बिल्कुल मुफ्त राशन दे रही थी और प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 5 किलो अनाज प्रतिव्यक्ति साथ में किलो दाल भी दिया जारहा था तो क्या आप लोगो को मिला तो उसने बताया हमारे घर में 11 लोग है और सबका राशन कार्ड में नाम है प्रति व्यक्ति 5 किलो सरकार के तरफ से आदेश है की देना है लेकिन डीलर महोदय प्रति व्यक्ति 4 किलो राशन देते है यानि 11 परिवार तो 55 किलो के बजाए 44 किलो राशन मिलता है बाकी डीलर अपने पास रख लेते है। प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाले 5 किलो पति व्यक्ति अतिरिक्त राशन तो अब तक मिला ही नहीं ? ये सब कुछ बताते वक़्त उसके चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी और एक उमीद भी उसको लग रही थी कि साएद पत्रकार महोदय की वजह से हमे पूरा राशन मिलने लगेगा ये सारी बाते सुन कर मै और भी सारी बाते करने लगा तो उसने हाथ जोड़ कर कहा बाबूजी मेरा नाम मत छापिएगा नहीं तो बड़े लोग है लोग मुझे और मेरे परिवार को गांव से निकाल देंगे ।
मैंने बैटन बैटन में पूछा कि वो कौन लोग है जो आपको गांव से निकाल देंगे तो बहुत दबी आवाज में बोला पंचायत के मुखिया और पंचायत के सचिव । अपने से वो बोला कि प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत मेरा पैसा पास हुआ था घर बनाने के लिए लेकिन उसमें से मुखिया जी और पंचायत सचिव 35 हजार रुपया ले लिए । पूरा कितना पैसा पास हुआ था तो उसने बताया कि पूरा 1 लाख 50 हजार पिसमें दो लोग यानी मुखिया और पंचायत सचिव मिल कर 35 हजार रुपया ले लिए नहीं देते तो जो भी मिलने वाला था नहीं मिलता । यह सीवान जिला के बरहन पंचायत की उस रिक्से वाले की आप बीती है । यह सब सुन और उसका चेहरा देख कर मै भी भावुक हो गया और सोचने लगा कि इस देश और खास कर बिहार से बीमारी यानी घूसखोरी चोरी कब खतम होगी ताकि ऐसे गरीब लोग भी खुशी खुशी जी सकें. यह केवल एक झलक हैं सर्वेक्षण करेंगे तो आप पाएंगे की ऐसा यह अकेला परिवार नहीं है जो जनवितरण प्रणाली की दूकान , मुखिया , सचिव, विधायक , प्रखंड अधिकारी और जिला अधिकारी से त्रस्त हैं , सुशासन की सरकार है तो गरीबों को उनका हक बगैर घूसखोरी और इस कोरोना महामारी में भी क्यों उन्हें उचित राशन का लाभ नहीं मिलाता ? क्या यह बातें मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार और उप मुख्या मंत्री सुशिल मोदी से छिपी है यह यह नेतागण सब कुछ जानकार भी अनजान हैं .
इस छोटी सी खबर से मुझे नहीं मालूम क्या बदलेगा लेकिन आप सभी पाठकों तक जमीनी सच्चाई पहुँचाना लहर की नैतिक जिम्मेदारी है , सोचना आपको है , ऐसे गरीब व्यक्ति के साथ सहयोग के लिए कब साथ आयेंगे उन्हें उनका और अपना हक लेंगे? संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान पूर्ण जीवन जीने की कल्पना है , राष्ट्रीय खाद्यान सुरक्षा कानून/अधिनियम 2013 सभी नागरिक को उचित मात्र में राशन देने का वादा करती है लेकिन जमीनी सच्चाई आपके सामने हैं , 11 सदस्यों का परिवार कैसे 44 किलो आनाज में पूरे महीने जीवित रहेगा आप भी इस पर गौर करें .