किसानों के के लिए सवाल ही सावल ,जवाब कहीं से मिल नहीं रहा?

लेखक : दीपक कुमार

कोविड 19 यानी कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए भारत में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पूर्ण लॉक डाउन किया गया है हालांकि कोविड 19 के संक्रमण को रोकने में कह सकते हैं  सहायक सिद्ध हुआ है परन्तु इस लॉक डाउन के कारण आयी आपदा ने देश नागरिकों को एक गंभीर आर्थिक परेशानी खरी कर दी है और इससे भारत के किसान भी अछूते नहीं हैं देश की एक बड़ी आबादी जो खेत में फसल लगाती है और उसके उपज को बेचकर अपनी एवं अपने परिवार के लोगों का पेट पालती है के सामने खेत में फसल लगाने से लेकर फसल के काटने एवं फसल के बेचने के बीच कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है और यह सिर्फ इस लॉक डाउन की वजह से हीं नहीं अभी के दिनों में मौसम ने भी किसानों के साथ अच्छा रुख नहीं रखा है और विपरीत मौसम के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है कृषि कार्य में कई किसान तो खुद के जमीन में फसल उगाते हैं जबकि कई किसान बटाई एवं पट्टीदारी में खेती करते हैं जहां उन्हें जमीन वाले को नुकसान के वाबजूद पैसा या फसल देना पड़ता है बिहार राज्य के जमुई जिले के प्रखंड गिद्धौर के एक किसान के अनुसार

हालांकि सरकार के द्वारा कृषि लागत के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कृषि सम्मान के लिए अग्रिम भुगतान की व्यवस्था की गई है वहीं बिहार सरकार के द्वारा किसानों की मदद के लिए राज्य के कई प्रखंडों को ओलावृष्टि के कारण फसल क्षतिग्रस्त क्षेत्र घोषित कर नुकसान भरपाई के लिए आवेदन मांगे गए हैं, साथ ही कृषि इनपुट सब्सिडी के रूप में सिंचाई के लिए डीजल भुगतान, खेती के लिए इनपुट राशि का भुगतान भी किया जाना है। वहीं दूसरी ओर जिन किसानों के फसल की उपज हुई है या ऐसे फसल जैसे सब्जी, फल इत्यादि की खेती करते हैं उन्हें लॉक डाउन के कारण अपने उपज को मंडी तक पहुंचाने एवं खरीददार तलाश करने में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है शादी, विवाह, जन्मोत्सव, मुंडन एवं अन्य प्रयोजन के आयोजित नहीं होने से बाजार में कृषि उत्पादों में कमी आई  है और गाजर, चुकंदर, टमाटर जैसे उत्पादों के तो उपज के अनुसार ग्राहक हीं नहीं मिल रहे हैं और ना हीं अन्य शहरों से इन्हें खरीदने के लिए व्यापारी आ रहे हैं स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि कई किसान तो खेत से उपज को घर या बाजार लाने की बजाय खेत में हीं छोड़ दिए हैं और इस स्थिति में खेत में नए फसल लगाने के लिए वो लागत राशि के लिए भी काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं ऐसे में कुछ सवाल बहूत महत्वूर्ण है अगर हो सके तो इनका भी जवाब दें .

आप अपने खेतों में किन किन फसलों को उगाते है? आपके द्वारा लगाए गए फसलों के उपज की क्या स्थिति है?
क्या आप अपने फसलों से उपज को निकाल पा रहे हैं?
क्या आपको अपने फसलों को बाजार तक ले जा पा रहे हैं? अगर नहीं तो इसकी क्या वजह और किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है?
क्या आपने फसलों कि नुकसान कि स्थिति में आर्थिक भरपाई हो सके के लिए फसलों का बीमा या कृषि इनपुट अनुदान के लिए आवेदन किया था? अगर नहीं तो इसकी क्या वजह है इसकी जानकारी नहीं थी या आपको लगता है इससे लाभ नहीं मिलता है! या कुछ और।
क्या आपके क्षेत्र को ओलावृष्टि से क्षति ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है? अगर नहीं तो आप सरकार के द्वारा क्षति के आकलन करने के तरीके को आप कितना संतोषजनक मानते हैं?
क्या आपको लगता है प्रक्रिया में किसी बदलाव कि जरुरत है? ऐसे में आप सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे?
क्या आपने डीजल के अनुदान के लिए आवेदन दिया था और क्या आपको इसका लाभ मिला है? क्या आप आने वाले मौसम में खरीफ फसलों की खेती करने में सक्षम हैं अगर नहीं तो खेती करने के लिए आप क्या करेंगे?
क्या आपको प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना के अलावा किसानों के लिए मददगार किसी अन्य योजना के बारे में जानकारी है अगर हां तो किसान इसका लाभ कैसे के सकते हैं?
क्या आपके गांव में किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक आपकी मदद के लिए आते हैं? आप के लिए कृषि योजनाओं का लाभ लेना कितना आसान है अगर नहीं तो कैसी और किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?
कृषि योजनाओं के लाभ के लिए किन किन दस्तावेजों या कागजों की जरूरत पड़ती है? आम तौर पर क्या वे दस्तावेज आपके पास उपलब्ध होते हैं या बनाना पड़ता है? अगर बनाना पड़ता है तो इन्हें बनाने में क्या कोई कठिनाई होती है अगर हां तो क्या? इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए?
खेती कर रहे बटाईदार या पट्टीदारों को भी कृषि संबंधित योजनाओं का लाभ मिल पाता है क्या ?अगर नहीं तो इसके क्या कारण है ?क्या आपको लगता है कि इन्हें भी लाभ मिलना चाहिए अगर हां तो इन्हें लाभ मिल सके के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?